स्ट्रीट वेंडर्स के लिए वरदान बना वेंडिंग जोन

बिहार सरकार सभी नगर निकायों में वेंडिंग जोन निर्माण की मुहिम चला रही है। इससे स्ट्रीट वेंडर्स को स्थायी और सुरक्षित स्थान मिल रहा है, जिससे उनकी आजीविका सुचारू रूप से चल रही है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के तहत राज्य के विभिन्न नगर निकायों में वेंडिंग जोन बनाए जा रहे हैं। अब तक 25 वेंडिंग जोन बन चुके हैं, जिनमें 1685 वेंडर्स को पुनर्वासित किया गया है।

वेंडिंग जोन निर्माण की पहल
आंकड़ों के मुताबिक पटना नगर निगम में 17, सीतामढ़ी में 3, बिहिया, भागलपुर, मोतिहारी, दरभंगा और बक्सर में 1-1 वेंडिंग जोन बनाए गए हैं। इनमें कुल 1685 वेंडर्स को बसाया गया है, जिसमें पटना में 1023, बिहिया में 65, सीतामढ़ी में 170, भागलपुर में 152, मोतिहारी में 104, दरभंगा में 67 और बक्सर में 104 वेंडर्स को बसाया गया है।

  गौरतलब है कि नगर विकास एवं आवासन विभाग और नगर निकाय वेंडिंग जोन का निर्माण, सीमांकन और नियमितीकरण कर रहा है। शेष शहरों में वेंडिंग जोन नियमितीकरण के लिए प्रक्रिया जारी है।

वेंडिंग जोन के सीमांकन और नियमितीकरण की प्रक्रिया:

  1. शहरी सर्वेक्षण और डाटा संग्रह
    ⦁ नगर निकाय द्वारा जीआईएस सर्वेक्षण से स्ट्रीट वेंडरों की संख्या, स्थान और गतिविधियों का डाटा एकत्र किया जाता है। सड़क चौड़ाई, यातायात प्रवाह और जनसंख्या घनत्व के आधार पर वेंडिंग और नो-वेंडिंग जोन निर्धारित किए जाते हैं।
  2. टाउन वेंडिंग समिति की भूमिका
    ⦁ समिति में फुटपाथ विक्रेता, व्यापारी संगठन, यातायात विभाग और आम जनता के सुझाव शामिल किए जाते हैं। इसके साथ ही अनुमोदित क्षेत्रों में अस्थायी वेंडिंग जोन को चिह्नित किया जाता है।
  3. मार्किंग और दिशा-निर्देश:
    ⦁ वेंडिंग जोन को लाल, हरे और सफेद रंगों से चिह्नित किया जाता है।
    ⦁ वेंडरों के लिए नियम और दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं।
  4. निगरानी और नियमितीकरण :
    ⦁ नगर निकाय और यातायात विभाग वेंडिंग जोन की स्थिति की निगरानी करता है। अवैध वेंडिंग रोकने और सुव्यवस्थित व्यवस्था बनाए रखने के लिए अभियान चलाए जाते हैं।

सरकार की पहल और कानूनी प्रावधान:
बिहार सरकार ने द स्ट्रीट वेंडर्स (प्रोटेक्शन ऑफ लाइवलीहुड एंड रेगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वेंडिंग) एक्ट, 2014 को लागू किया है। इसके तहत फुटपाथ विक्रेता (जीविका संरक्षण एवं फुटपाथ विक्रय विनियमन) नियमावली, 2017 और स्कीम 2017 को भी लागू किया गया है। इससे स्ट्रीट वेंडर्स को कानूनी मान्यता, सुरक्षा और स्थायी व्यवसाय करने का अवसर मिल रहा है। गौरतलब है कि शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्ट्रीट वेंडिंग एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, जो हजारों परिवारों की आजीविका का स्रोत है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर कपड़े, खाने-पीने की चीजें, घरेलू सामान और अन्य जरुरी चीजें मिल जाती हैं। सरकार के इस प्रयास से न केवल स्ट्रीट वेंडरों को व्यवस्थित व्यापार करने का अवसर मिल रहा है बल्कि शहरों की सुंदरता भी बढ़ रही है और अनियंत्रित अतिक्रमण पर भी रोक लग रही है।

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