वट सावित्री पूजा को लेकर शुक्रवार को सभी वट वृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं की भीड़ उमड़ गई। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ महीने की अमावस्या पर किया जाता है। सुहागिन महिलाएं इस दिन पति की लंबी उम्र की कामना के साथ बिना कुछ खाए निर्जल व्रत करती हैं। ये व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि जो स्त्रियां सावित्री व्रत करती हैं वह पुत्र-पौत्र धन प्राप्त कर चिरकाल तक पृथ्वी पर सब सुख भोग कर पति के साथ ब्रह्मलोक में स्थान पाती हैं। वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा किया जाता है।
वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेवों का वास होता है। बरगद के तने में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। जड़ में ब्रह्मदेव का वास माना जाता है। शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है. वट की लटकती शाखाओं को सावित्री स्वरूप मानते हैं, इसलिए ये पूरा पूजनीय हो जाता है। वट वृक्ष लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे ‘अक्षयवट भी कहते हैं।