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नीतीश कुमार की सियासी जमीन बिहार से खिसक चुकी है. नीतीश कुमार लम्बे समय से चुनाव लड़े भी नहीं हैं. UP से चुनाव लड़कर आजमा ही लें.वह जीत नही पायेगे .विपक्षी दलों की अपने गठबंधन के प्रति कोई जिम्मेवारी नहीं. न नीतीश कुमार संयोजक बन पाए न कोर्डिनेशन कमिटी बन पायी.बैठक के बहाने कहीं लिट्टी खाई जा रही कहीं राहुल गाँधी की शादी पर चर्चा पर बैठक खत्म हो रही. ये गठबंधन सिर्फ राजनीतिक हौआ खड़ा करने के लिए बनाया है.नरेन्द्र मोदी के खिलाफ इतने राजनीतिक दलों के एक साथ आने के बाद भी सभी काफ़ी लाचार नज़र आ रहे.जाति गणना के फैसले के वक़्त BJP सरकार में थी. मै नंबर दो की कुर्सी पर था. NDA की सरकार ने जाति गणना का फैसला लिया. Rjd तो सरकार में थी ही नहीं. अब BJP पर जाति गणना के विरोधी का आरोप लगाया जा रहा इससे बड़ा राजनीतिक झूठ कुछ नहीं हो सकता.