दरभंगा में प्रशांत किशोर का दर्द साफ झलकता दिखा। उन्होंने कहा कि 2014 में नितीश कुमार ने हम पर दाव लगाया। हमको लेकर आए और घोषणा भी कर दिया कि यही हमारे उत्तराधिकारी हैं। जब नीतीश कुमार चुनाव जीत गए, तब उन्होंने सोचा कि कहीं प्रशांत किशोर बड़ा ना हो जाए। अब इसको हटाकर दूसरे को आगे बढ़ाओ। वही जदयू से दरकिनार करने के मलाल के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें बिल्कुल इस बात पर मलाल नहीं है। हम वह लोग नहीं हैं जो जीवन में किसी निर्णय पर मलाल करें।
नीतीश कुमार राजनेता के तौर पर और जदयू दल के तौर पर बहुत बड़ा बोझ हो गए है। जो भी उसे उठाने का प्रयास करेगा, वह उसके बोझ तले दब कर मर जाएगा। जहां तक सवाल रहा कार्यकारणी के बैठक का वह नीतीश कुमार का अपना तरीका है। वह ताश के पत्तों की तरह नेताओं को ऊपर नीचे करते रहते हैं।यही वजह है कि अपने 17 साल के मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उन्होंने अपनी पार्टी में कोई सेकंड लाइन लीडरशिप बनाया ही नहीं।
प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारे माता-पिता ने हमें सिखाया है कि आप जिस रास्ते पर हैं। उसमें अगर आपसे कोई गलती हो जाए तो जीवन में दो रास्ते आपके साथ हैं। आप अपने निर्णय और गलती के आधार पर सीख सकते हैं और उसे गलती से सीख कर आप आगे बढ़ सकते हैं। साथ ही एक बार जब नीतीश कुमार ने धोखा किया। उसके बाद चाहे नीतीश कुमार 20 बार हमारे पास आए। कितनी बार बात कर ले। कितने संदेशे भेजवा दे। अब हमने कह दिया हम नीतीश कुमार के साथ नही जायेगे। चाहे हमको 01 साल लगे या 20 साल।