
समस्तीपुर : बिहार का वृंदावन कहलाने वाला भिरहा गांव की होली इस वर्ष भी आपसी भाई चारा प्रेम के साथ मनाया जा रहा है, गांव के हर गलियों में होली के गीतों के साथ गुलाल के इंद्रधनुष की छठा देखने को मिल रहा है. उत्साह और उमंग के सरोवर में गांव के हर वृद्ध नर नारी युवक युवतियां का चेहरा हरा लाल पीला रंगो में रंगा हुआ है. भिरहा गांव के तीनों टोला में रंग-बिरंगे लाइटों से मंदिरों एवं विभिन्न सड़कों को आकर्षक रूप से सजाकर दूर दराज से पहुंचने वाले लोगों के लिए स्वागत द्वार बनाया गया है. आपसी सहयोग से तीनों टोला में आयोजन टीम के भरपूर सहयोग से इस होली पर्व का समापन कराया जाता है. भिरहा गांव के होली की अपनी महानता है गांव के लोग होली पर्व को अपनी विरासत समझकर शांतिपूर्वक संपन्न कराने को लेकर प्रत्येक ग्रामवासी गांव में पहुंचने वाले लाखों लोगों के भीड़ का नियंत्रण खुद व खुद करते हैं. आज तक इस पर्व के दौरान कोई भी छोटी-बड़ी घटना नहीं होना सबसे बड़ी मिसाल है.राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने भिरहा गांव की होली को बिहार का वृंदावन कहा था. बसंत पंचमी के दिन से ही गांव के सभी ठाकुरबाड़ी पर ढोल मजीरा के साथ होली का लोक गीत का शुरुआत कर दिया जाता है. होलिका दहन की संध्या गांव के पुस्तकालय चौक पर अलग-अलग राज्यों से लाए गए बैंड बाजा के साथ महावीर झंडा स्थापित किया जाता है.
उसके बाद गांव के तीनों टोला के मंदिर परिसर में आयोजित नृत्य संगीत समारोह कार्यक्रम का आनंद लोग सुबह तक उठाते हैं. सुबह होने से पूर्व लाखों लोगों की भीड़ गांव के नीलमणि उच्च विद्यालय परिसर में पहुंचकर होलिका दहन करते हैं. इस दौरान दूसरे प्रदेशों से बुलाए गए बैंड बाजा कलाकारों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन कर रंग-बिरंगे लाइटों के बीच आतिशबाजी की जाती है और तीनों टोला के बैंड बाजा कलाकारों के बीच बेहतर प्रदर्शन करने वाले को पुरस्कृत किया जाता है। होली के दिन गांव के लोग अपने-अपने घरों पर होली खेलने के बाद गांव में आयोजित नृत्य संगीत कार्यक्रम में भाग लेते हैं. दोपहर बाद नृत्य संगीत कार्यक्रम समाप्ति होने पर सभी लाखों लोगों की भीड़ गांव के फगुआ पोखर पर उमड़ पड़ता है, और दो टोलियो मैं बटकर पीतल के पिचकारी से एक दूसरे पर रंग देकर कुर्ता फार होली खेलते हैं. भिरहा गांव के होली की खास बात है कि बगैर मर्जी के किसी को भी रंग गुलाल नहीं लगाया जाता है. समस्तीपुर जिले सहित दूर-दराज पहुंचने वाले अतिथियों का भव्य स्वागत किया जाता है,और संध्या होते ही रंगों से रंगा हुआ फगुआ पोखर में होली पर्व का आनंद उठाते हैं और एक दूसरे को गले लगाकर होली पर्व का समापन करते हैं.गांव के वृद्ध लोग बताते हैं कि भिरहा गांव की होली को देखने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, आरसी प्रसाद सिंह, आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जैसे साहित्यकार पूर्व मुख्यमंत्री स्व जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व गृह सचिव जिया लाल आर्य, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी सहित के बड़े नेता भिरहा गांव की होली देखने आ चुके है.