औगांरी धाम छठघाट जहाँ देश के कोने कोने से आते है छठवर्ती

Auganri Dham Chhathghat where Chhathvartis come from every corner of the country

लोक आस्था का महापर्व चैती छठ पूजा को लेकर नालंदा जिले के बड़गांव और औगांरी धाम में बिहार राज्य एवं अन्य राज्यों के कोने-कोने से छठवर्ती पहुच चुके हैं।चैती छठपूजा को लेकर बड़गांव और औगांरी धाम की धार्मिक व पौराणिक महत्व है। औंगारी धाम को सूर्यपीठ के रूप में धार्मिक व पौराणिक मान्यता है। यहां का भी इतिहास भगवान श्री कृष्ण के पौत्र राजा साम्ब से जुड़ा है। यही कारण है कि पूरे देश से लोग यहां भी छठ व्रत करने आते हैं। चैत्र और कार्तिक दो मौके पर यहां छठव्रतियों की भीड़ जुटती है।लोग यहां आकर छठ करने की मनौती भी मांगते हैं। जब मन्नत पूरी हो जाती है तब लोग यहां आकर मन्नत पूरा करते हैं। कहा जाता है कि यहां सभी तरह के रोग व्याधि, दुख दूर होते हैं और मनोकामना पूरी होती है।

औगांरी धाम के स्थानीय पुजारी देव कुमार पांडेय ने बताया कि भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब को कुष्ठ रोग हो गया था। उनके कष्टों को निदान करने के लिए भगवान कृष्ण ने ही उपाय बताया भगवान कृष्ण ने अपने पुत्र साम्ब से कहा कि अपने हाथों से 12 सूर्य को स्थापित करो तभी तुम्हारे लोगों का निदान होगा। उसी दौरान द्वापर युग में 1 दिन में 12 सूर्य को स्थापित किया गया था। जिसमें पहले औरंगाबाद दूसरा अंगारी धाम और तीसरा बड़गांव छठ घाट है। अंगारी धाम के पुजारी ने बताया कि औगांरी धाम का महत्व इतना ज्यादा है कि यहां बिहार के अलावे बंगाल उड़ीसा झारखंड मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के लोग भी छठ पूजा करने के लिए आते हैं।

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