
गया में एएसआई ने आत्महत्या कर ली. पुलिस लाइन की पुलिस बैरक में उसने ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली ली. इस घटना में उसकी मौत हो गई. वहीं, घटना की जानकारी होते ही पुलिस बैरक में हड़कंप मच गया. गया के सिटी एसपी रामानंद कुमार कौशल ने बताया कि मामले में पुलिस की छानबीन चल रही है. आत्महत्या के कारणों का पता लगाया जा रहा है.
एएसआई ने खुद को मारी गोली: मृत एएसआई की पहचान नीरज कुमार के रूप में हुई है. वह लखीसराय के सूर्यगढ़ा के रहने वाले थे. गुरुवार की सुबह में पुलिस लाइन के पास ही आवास स्थान पर अपने सर्विस रिवॉल्वर से उन्होंने खुद को गोली मार ली. इस घटना में उनकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि 45 दिनों की छुट्टी के बाद वह अपने गांव से 2 दिन पहले ही लौटे थे. गुरुवार की सुबह में यह घटना सामने आई है.
गया पुलिस लाइन में आत्महत्या 45 दिनों की छुट्टी से लौटे थे एएसआई: मृतक एएसआई नीरज कुमार की पोस्टिंग मुफस्सिल थाने में बताई जा रही है. पुलिस के अधिकारी ने बताया कि वह 45 दिनों की छुट्टी पर थे. दो दिन पहले ही शाम को पुलिस लाइन में योगदान दिया था. गुरुवार की सुबह को अचानक अपनी सर्विस रिवॉल्वर से उसने खुद को गोली मार ली, जिस वजह से उसकी मौत हो गई है. इस घटना के बाद परिजनों को इसकी जानकारी दी गई है. परिजनों के आने का इंतजार किया जा रहा है.
गया मुफस्सिल थाने में पदस्थापित थे मृतक एएसआई
क्या बोले सिटी एसपी?: वहीं, गया के सिटी एसपी रामानंद कुमार कौशल ने बताया कि एएसआई नीरज कुमार ने पुलिस लाइन में अपने सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार कर जान दे दी है. परिजनों को घटना की जानकारी दी गई है. उनके आने का इंतजार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 45 दिनों की छुट्टी से आने के 2 दिन ही उसने क्यों ऐसा कदम उठाया, इसकी जांच-पड़ताल की जा रही है. फिलहाल आत्महत्या की वजह सामने नहीं आ पाई है.
“एएसआई नीरज कुमार 45 दिनों की छुट्टी पर गए थे और परसों शाम में आए थे. इसी बीच आज गुरुवार की सुबह को पुलिस लाइन में इस तरह की घटना सामने आई है. पुलिस घटना के कारणों का पता लगा रही है. पूरे मामले की छानबीन हो रही है. मृतक के परिजनों के आने का इंतजार किया जा रहा है, उसके बाद ही असल वजह पता चल पाएगी.”- रामानंद कुमार कौशल, सिटी एसपी, गया
‘ड्यूटी के प्रेशर के कारण दी जान’: हालांकि मृतक एएसआई के बड़े भाई पप्पू सिंह ने कहा कि नीरज पढ़ने-लिखने में कमजोर था. उसका एक हाथ भी नहीं उठता था. इलाज के लिए घर गया हुआ था. उसने कई बार अपने अधिकारों से भी अपनी समस्या बताई लेकिन इसके बावजूद थाने से एक बार में 40 केस दे दिए जाते थे. विभागीय कार्यों को लेकर वह तनाव में था.