एक विवाह ऐसा भी ,जहाँ पुरानी परम्परा को फिर से जिन्दा किया गया

पूर्णिया : मधुबनी के शंभू केसरी और अर्चना केसरी की बेटी की शादी 25 फरवरी को धूमधाम से हुआ. शंभू केसरी का कहना है कि उनकी शुरू से इच्छा थी कि दहेज मुक्त शादी करेगें . इसके लिए समाज में जल्दी लड़का तैयार नहीं हो रहा था, लेकिन शहर के ही थाना चौक के राम लखन केसरी ने अपने पुत्र इन्द्रजीत की शादी दहेज मुक्त करने के लिए तैयार हुए . शादी समारोह में हर जगह दहेज मुक्त शादी और बेटी बचाओ बेटी बेटी पढ़ाओ का स्लोगन लगाया गया. इस दौरान बाराती को फलदार पौधा देकर सम्मानित किया गया और पर्यावरण बचाने का संदेश दिया गया.इस विवाह की सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने प्राचीन परंपरा को निभाते हुए बेटी भावना उर्फ शालू को डोली पर विदा किया गया . जब बेटी शालू डोली में सवार हुई और कहार डोली को उठाया उस समय वह पुराना गाना भी चलाया गया चलो रे डोली उठाओ कहार पिया मिलन की रीत आईजिससे सभी की आंखें नम हो गई. डोली में ही शालू अपने ससुराल थाना चौक पहुंची. जहां ससुराल वालों ने भी उनका विधि विधान के साथ स्वागत किया.दूल्हे के पिता राम लखन केसरी ने कहा कि उनकी शुरू से इच्छा थी कि बेटा मोनू की दहेज मुक्त शादी करेंगे. लेकिन जिस तरह प्राचीन परंपरा को निभाते हुए उनके समधी शंभू केसरी ने दुल्हन को पालकी सजाकर उसमें विदा किया यह इतिहास को एक बार फिर दोहराने जैसा था. दूल्हा-दुल्हन भी काफी खुश नज़र आये .

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