3 जुलाई से 9 जुलाई तक बिहार शरीफ के बाबा मणिराम के अखाड़ा पर लगने वाले लंगोट मेला श्रद्धा पूर्वक संपन्न हो गया। इस बार का लंगोट मेला सादगी और बिल्कुल ही फीके तरीके से संपन्न हुआ। गौरतलब है कि लंगोट मेला के शुरुआत में ही प्रशासन के तरफ से जुलूस पर पूरी तरह से बैन लगा गया था। ग्रामीण क्षेत्र से लंगोट चढ़ने वाले श्रद्धालु इस बार मेले में नहीं पहुंच सके। आपको बता दें कि 31 मार्च को बिहार शरीफ में हुए उपद्रव के बाद ही प्रशासन के द्वारा इस बार लंगोट मेला में एहतियातन इस तरह का कदम उठाना पड़ा। प्रशासन के द्वारा उठाए गए इस तरह के कदम से श्रद्धालुओं में मायूसी भी देखी गई।
बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति के अध्यक्ष अमरकांत भारती ने बताया कि प्रशासन ने इस बार तानाशाही रवैया अपनाते हुए लंगोट चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं के ऊपर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। हर साल 7 दिनों तक चलने वाली लंगोट मेला के अवसर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र इलाके से भक्त काफी संख्या में लंगोट चढ़ाने के लिए बाबा के दरबार में आते थे। दुनिया का शायद ऐसा पहला मंदिर है जहां बाबा की समाधि पर लंगोट चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। सच्चे मन से जो भी भक्त बाबा के समाधि पर लंगोट चढ़ाते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।