जमशेदपुर झारखंड का आर्थिक राजधानी हैं ।वैसे इस आर्थिक राजधानी ने देश और दुनिया को बहुत कुछ दिया है। बॉलीवुड के हीरो और हीरोइन जमशेदपुर की सरजमी से पैदा हुई। कई नामी हस्तियां की लौह नगरी मैं जन्म हुआ। वैसे एक तीरंदाज जो तीरंदाज की दुनिया में उसकी एक अलग पहचान थी एक नहीं दर्जनों से ज्यादा मेडल पर अपना नाम लिखा चुका राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक हासिल की वैसे यह खिलाड़ी अनिल लोहार अब गुमनामी की ज़िंदगी जी रहा है। आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई की यह मुर्गी पालन कर रहा है। इतना ही नहीं मुर्गी को काट कर बेचता है ताकि ज्यादा पैसा मिले अब तब तो इसी पैसा से परिवार चलता है ।वैसे अनिल लोहार जमशेदपुर से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के पिंदरबेड़ा का रहने वाला है ।अनिल वर्ष 2014 में हैदराबाद में आयोजित जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता हौसला सातवे आसमान पर पहुंच गया अनिल का सुखद सफर 2019 में जहां कटक में इंडियन नेशनल चैंपियनशिप टीम इवेंट में भी अपना योगदान दिया । इस प्रतियोगिता के बाद खुद को और निखारने के लिए तीरंदाजी मैं पूरी मेहनत करनी शुरू कर दी । वैसे किरण दास में अपनी धाक जमाने के लिए बेशकीमती उपकरण की जरूरत पड़ी तो केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने साल भर पहले राज्य के खेल और सांस्कृतिक विभाग को पत्र लिखकर अनिल को आर्थिक मदद दिलाने की सिफारिश की ।लेकिन उसे ना तो मदद मिली और ना ही उपकरण।
वैसे उपकरण के अभाव में मार्च 2022 में जम्मू कश्मीर में आयोजित इंडियन नेशनल तीरंदाजी चैंपियनशिप में खाली हाथ लौटना पड़ा ।आर्थिक संकट से जूझते हुए अनिल ने पहले लोगों के खेत में काम करना शुरू किया जब वहां भी पेट नहीं भरा तो मुर्गी पालन कर परिवार का भरण पोषण करने में जुट गया। वैसे अनिल को कंपाउंड रिवीजन पर गरीबी आगे नहीं जाने दिया। 23 वर्ष के अनिल का कहना है उसका लक्ष्य कंपाउंड डिवीजन में जाने का है इसके लिए क्वालिफाइड भी करता है। लेकिन उपकरण के अभाव में लाचार है ।अनिल का कहना है कि कुछ दिन पहले जमशेदपुर में केंद्रीय मंत्री मंत्री अर्जुन मुंडा से धनुष की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया था लेकिन वह भी नहीं मिला। उधर अनिल अपने भाग्य को कोस रहा है कि नसीब में ही तीरंदाजी नहीं है। वैसे आपको बता दें कि अनिल को जिस कंपाउंड राउंड में पहुंचने के लिए धनुष की आवश्यकता है। उसकी कीमत लगभग ढाई लाख रुपए हैं।इतना ही नहीं अनिल के कंधे पर परिवार का बोझ भी हैं पत्नी है दो बच्चे हैं बुजुर्ग पीता हैं ।ऐसे में अनिल अपने परिवार को देखें या धनुष खरीदे ।
वैसे अनिल को अभी भी उम्मीद है कि सरकार इनके हुनर को कद्र करेंगी और इन्हें धनुष जरूर मिलेगा। अगर धनुष मिला तो अनिल के अंदर आज भी जज्बा है वह जज्बा जो दुनिया को दिखा सकता है ।लेकिन इसके लिए जरूरत है सरकार की आर्थिक मदद अनिल के सामने अब दो वक्त की रोटी के लाले पड़े हैं। ऐसे मैं अरुण यह सोचकर काफी परेशान है की मेरा तीरंदाजी का क्या होगा दूर-दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा ना पिता के पास संपत्ति है और ना ही कोई मदद करने वाला ।वैसे आपको बता दें कि 2014 में जूनियर नेशनल तीरंदाज चैंपियनशिप ने जीत का पदक लेने वाला अनिल अब अपने पदक और मेडल को देखकर समय बिता रहा है। वैसे तो जमशेदपुर शहर ने मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा मिस इंडिया तनुश्री दत्ता क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन विजेता अरुणा मिश्रा सहित कई हस्तियां इस शहर में जन्मी हैं। लेकिन अनिल लोहार की कहानी काफी दुखद है ।अनिल को अभी भी उम्मीद है कि सरकार की नींद खुलेगी और धनुष मिलेगा और फिर तीरंदाजी में अपना परचम लहराएगे ।वैसे तो अनिल के पास अब पीने का पानी भी नहीं है। घर का छत खराब हो चुका है एक बार कुआं खोदने की हिम्मत भी तो स्थानीय प्रशासन ने यह कहकर रोक लगा दिया कि पानी आपके घर तक पहुंच जाएगा आप मेहनत नहीं कीजिए। लेकिन वह भी कागज पर सिमट कर ही रह गया ।अनिल इन बातों को याद कर काफी दुखी होता है। राज्य और देश के नाम रोशन करने वाला अनिल गुमनामी की जिंदगी जी रहा है ।और आर्थिक मदद की जरूरत हैं।