देश और प्रदेश में पेय जल को लेकर बहुत सारे अभियान चलाए जा रहे है बाबजूद देश में ऐसे कुछ ऐसे गांव है जो इससे काफी दूर है , आप ये तस्वीर को देखिए ये सर पर पानी लाने के लिए जा रही महिलाएं राजस्थान या सूखाग्रस्त इलाके की नहीं है बल्कि बिहार के नवादा जिले के वरिसलीगंज स्तिथ सिमरी बिगहा के अनुसूचित टोला की है.
जहां हर घर जल नल योजना हो या जल जीवन हरियाली सभी के सभी योजनाएं दम तोड रही है. ये सभी महिलाएं नवादा जिले के वरिसलीगंज के सिमरी बिगहा के अनुसूचित टोला की है.जहा की आबादी करीब 150 की है .इस गांव में जीवन जीने के लिए जो न्यूनतम व्यवस्था होनी चाहिए वह भी नहीं है.इस गांव में पेय जल के लिए जल जीवन हरियाली योजना के तहत पंद्रह वित आयोग से एक कुआं का मरमत हुआ है पर कुएं में जल ही नहीं है. यहां के ग्रामीण जी भी रहे है तो वो भी भगवान भरोसे , कुल मिलाकर विकास के दावों के बीच ऐसी तस्वीर जब सामने आती है तो विकास के दावों पर सवाल उठने लाजमी है ।
ये सभी गांव के महिलाएं और बच्चे गांव से करीब 1 किलोमीटर दूर मोहिउद्दीनपुर गांव जाकर बाल्टी , तसले आदि में पानी ढो कर लाती है.इसी कड़ी में नगर के वार्ड संख्या 15 सिमरी बीघा गांव का अनुसूचित टोला में पिछले तीन महीनों से पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है। पेयजल संकट से जूझ रहे लोगो की समस्या को नगर परिषद भी नज़र अंदाज़ कर रही है।
अनुसूचित समुदाय के लोगो द्वारा कई बार स्थानीय नप कार्यालय एवं अपने निवर्तमान प्रतिनिधि को अपनी समस्या बताया. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं किया जा सका है.वैसे तो टोले में एक चापाकल एवं एक पुराना कुंआ है. जो जलस्तर नीचे चले जाने के कारण सुख चुका है. जबकि नप द्वारा पहुंचाया गया नल जल योजना का मोटर उक्त मुहल्ले तक पानी पहुंचाने में अक्षम साबित हो रहा है।
नवादा से सनी की रिपोर्ट .